टूटा दिल

जब मांझी ख़ुद ही पतवार जला दे
कौन दिशा पहुंचे फिर कश्ती साहिल को।

जान के जो सब कुछ ख़ुद से अंजान बने
कौन जगाए नींद से फिर उस ग़ाफ़िल को।

वक़्त का तूफ़ाँ जिसे वीराना कर दे
कौन सजाए फिर उस सूनी महफ़िल को।

क़ातिल ही जब आप मुंसिफ़ हो जाए
कौन सज़ा दे फिर छुपे उस क़ातिल को।

अपनों की जो सितमगरी से टूटा हो
कौन सँवारे फिर उस मुरझाए दिल को।

*कश्ती = नाव (Boat)
*साहिल = नदी का किनारा (River bank)
*ग़ाफ़िल = बे-ख़बर (Negligent, Uninformed)
*तूफ़ाँ = तूफ़ान (Storm)
*मुंसिफ़ = न्यायधीश (Judge)
*सितमगरी = उत्पीड़न (Oppression, Tyranny)

© गगन दीप

No comments:

Post a Comment