रात के आँचल से

जो रात के आँचल से निकल के
दबे पाँव उतरा था
मेरे मन के आँगन में
और ठहर गया था दो पल को
मेरी अधमुंदी पलकों पे।

चाँदनी का नूर न था वो
कोई सय्यारा भी नहीं
नाज़ुक सा एक ख़्वाब था बस
तेरी ख़ुशबू संग लाया था
तेरी यादें बना के चला गया।

*नूर = प्रकाश, ज्योति, चमक (Light, Glow)
*सय्यारा = सैर करने वाला/घूमने वाला तारा (Moving Star/Planet)

© गगन दीप

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