Sindoori Dhoop

Mere hissay ki dhoop ko
Maang mein tum apni rakh lo
Kuchh rang sindoori ho jaaye
Phir lautaa dena mujh ko
Main odh loonga tab iss ko
Apni raaton ke saaye par!

सिंदूरी धूप

मेरे हिस्से की धूप को
मांग में तुम अपनी रख लो
कुछ रंग सिंदूरी हो जाए
फिर लौटा देना मुझको
मैं ओढ़ लूंगा तब इसको
अपनी रातों के साए पर।

टूटा दिल

जब मांझी ख़ुद ही पतवार जला दे
कौन दिशा पहुंचे फिर कश्ती साहिल को।

रात के आँचल से

जो रात के आँचल से निकल के
दबे पाँव उतरा था
मेरे मन के आँगन में
और ठहर गया था दो पल को
मेरी अधमुंदी पलकों पे।