यादों की मिट्टी

क्यूं ज़ुबां ठिठक जाती है मेरी रू-ब-रू उनके मुझे क्या मालूम
कितना कुछ कहने को है मेरे दिल में उन्हें क्या मालूम!

मुस्कुराता देख उनको दीप जल उठते हैं मेरी शब-ए-तार में
कौन हैं और क्या हैं वो मेरी नज़र में उन्हें क्या मालूम!

मुद्दत हुई बन के घटा बरसे थे वो मेरे मन के सूने आँगन में
और भिगो गए थे रूह को मेरी तर-ब-तर उन्हें क्या मालूम!

रह गयी बस यादों की गीली मिट्टी जिसकी भीनी सी ख़ुशबू
महकती है आज भी मेरे ख़्वाबों के चमन में उन्हें क्या मालूम!

*रू-ब-रू = आमने-सामने (Face to Face)
*शब-ए-तार = अँधेरी रात (Dark Night)
*तर-ब-तर = भीगा हुआ (Drenched)
*चमन = बाग़ (Garden)

© गगन दीप

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