नक़्श किसी के प्यार के
बिखरे हुए हैं जां-ब-जां
मेरी ज़िंदगी के पन्नों पर।
नज़र तो आते नहीं पर
एक एहसास की तरह
वो रहते हैं दिल में हर पल।
कभी माज़ी के दरीचों से
बन के तस्वीर उभरते हैं
मेरी यादों के दरपन में।
और फूलों की ख़ुशबू जैसे
महकते हैं वो कभी
मेरे ख़्वाबों की अंजुमन में।
अंधियारी रातों में कभी
तारों की झालर बन के
वो झिलमिलाते हैं गगन में।
और कभी बन के शबनम की
बूँद चमकते हैं वो
मेरी उल्फ़त के चमन में।
चाँद के उस पार से
मिलने आते हैं रोज़ मुझे
वो चाँद की पहली किरन में।
© गगन दीप
बिखरे हुए हैं जां-ब-जां
मेरी ज़िंदगी के पन्नों पर।
नज़र तो आते नहीं पर
एक एहसास की तरह
वो रहते हैं दिल में हर पल।
कभी माज़ी के दरीचों से
बन के तस्वीर उभरते हैं
मेरी यादों के दरपन में।
और फूलों की ख़ुशबू जैसे
महकते हैं वो कभी
मेरे ख़्वाबों की अंजुमन में।
अंधियारी रातों में कभी
तारों की झालर बन के
वो झिलमिलाते हैं गगन में।
और कभी बन के शबनम की
बूँद चमकते हैं वो
मेरी उल्फ़त के चमन में।
चाँद के उस पार से
मिलने आते हैं रोज़ मुझे
वो चाँद की पहली किरन में।
© गगन दीप
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